उन्होंने यह भी कहा कि उनका यही तात्पर्य है कि मुस्लिम पक्ष ने 18 मई 1886 के जिला न्यायाधीश के फैसले को चुनौती नहीं दी थी। मुस्लिम पक्ष ने एएसआई की 2003 की उस रिपोर्ट पर हमला बोला, जिसमें पाए गए अवशेषों, प्रतिमाओं एवं कलाकृतियों के आधार पर यह सुझाव दिया गया है कि बाबरी मस्जिद से पहले एक ढांचा था। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि इसमें पुष्टि योग्य कोई भी निष्कर्ष नहीं है, तथा यह अधिकतर आशयों पर आधारित है।
बहरहाल, न्यायालय ने कहा कि यदि एएसआई रिपोर्ट पर कोई आपत्ति थी तो विरोध करने वाले पक्ष को उसे उच्च न्यायालय के समक्ष उठाना चाहिए था क्योंकि कानून के तहत कानूनी समाधान उपलब्ध हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा, 'आपकी जो भी आपत्ति हो, भले ही वह कितनी भी मजबूत हो, उसकी सुनवाई हम नहीं कर सकते।' पीठ ने दिवानी प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों की चर्चा करते हुए यह बात कही।