सियाचीन में 35 सालों से क्यों आमने सामने है भारत-पाक सेना?




सियाचीन भारत के लिये सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तो है ही वहीं पाकिस्तान भी उस पर अपना अधिकार जताने की नापाक कोशिश करते आया है। यही कारण है कि सियाचीन में पिछले 35 सालों से भारत-पाक सेना आमने सामने है।



इस विवादित ग्लेशियर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच 12 से ज्यादा बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकला। भारतीय सेना सियाचिन ग्लेशियर पर कुछ स्थानों को भारतीय नागरिकों के लिए खोलने की तैयारी कर रही है। सेना का मकसद आम लोगों को सेना के जीवन से जोड़ना भी है, और वह भारतीय जनता को दिखाना चाहते हैं कि जवान कितने मुश्किल हालात में सियाचिन में तैनात हैं। सियाचिन को लेकर क्या है विवाद, और क्यों यह भारत के लिए अहम है? इस पर चर्चा करते हैं। सन 1972 में जब शिमला समझौता हुआ तो सियाचिन के एनजे-9842 नामक स्थान पर युद्ध विराम की सीमा तय हो गई। इस बिंदु के आगे के हिस्से के बारे में कुछ नहीं कहा गया। लेकिन कुछ वर्षों में बाकी के हिस्से में गतिविधियां होने लगीं। पाकिस्तान ने कुछ पर्वतारोही दलों को वहां जाने की अनुमति भी दे दी। भारत को यह अच्छा नहीं लगा और उसने 1984 में ऑपरेशन मेघदूत के ज़रिए एनजे-9842 के उत्तरी हिस्से पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया, इस हिस्से को सालटोरो कहते हैं। 1984 में भी पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर सियाचिन पर चढ़ाई करने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाया। लेकिन 1987 को पाकिस्तान ने 21 हजार फीट की ऊंचाई पर कायद नामक एक पोस्ट बनाने में सफलता प्राप्त की। भारत ने भी तीन असफल प्रयासों के बाद, नायब सूबेदार बाना सिंह के नेतृत्व में सेना ने पोस्ट पर कब्जा कर लिया। वर्ष 2003 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक युद्धविराम संधि पर हस्ताक्षर किए गए। तब से इस क्षेत्र में गोलीबारी और बमबारी बंद हो गई है, लेकिन दोनों देशों की सेना यहां तैनात है। यहां ज्यादातर समय शून्य से भी 50 डिग्री नीचे तापमान रहता है। एक अनुमान के मुताबिक अब तक दोनों देशों को मिलाकर 2500 जवानों को यहां अपनी जान गंवानी पड़ी है।
सियाचिन का उत्तरी हिस्सा, कराकोरम भारत के पास है। पश्चिम का कुछ भाग पाकिस्तान के पास है। सियाचिन का ही कुछ भाग चीन के पास भी है। एनजे-9842 ही भारत और पाकिस्तान के बीच वास्तविक सीमा नियंत्रण रेखा है। सियाचिन सामरिक रूप से भारत के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है। यहां से लेह, लद्दाख और चीन के कुछ हिस्सों पर नजर रखने में भारत को मदद मिलती है। सियाचिन पूर्वी काराकोरम रेंज पर स्थित है। सियाचिन ग्लेशियर का बेस कैंप समुद्र तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर है, जबकि सियाचिन के और ऊंचे इलाके 21 हजार फीट से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित हैं। सामरिक दृष्टि से सियाचीन भारत के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है।
Share:

Search This Blog

Archives

Definition List

header ads