दो अक्‍टूबर को देश को खुले में शौच-मुक्‍त घोषित करेंगे पीएम नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली

एक तरफ जहां खुले में शौच करने पर मध्य प्रदेश में दो दलित बच्चों की हत्या का मामला सामना आया है, तो दूसरी तरफ मोदी सरकार 2 अक्टूबर को देश को खुले में शौच मुक्त घोषित करने वाली है। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के एक गांव में पंचायत भवन के सामने शौच करने पर दो व्यक्तियों ने कथित तौर दो दलित बच्चों को लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला। इस घटना के सिलसिले में मामला दर्ज कर दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

ये मामला देश को खुले में शौच मुक्त करने के सरकार दावे की हकीक़त को बयां कर रहा है। दरअसल गुजरात के उप-मुख्यमंत्री ने बुधवार को बताया कि प्रधानमंत्री 2 अक्टूबर यानि कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर अहमदाबाद में देश को खुले में शौच मुक्त घोषित करने का एलान करेंगे। उन्होंने बताया कि 20,000 सरपंचों के मौजूदगी में साबरमती रिवरफ्रंट पर इसकी घोषणा की जाएगी। इनमें आधे सरपंच गुजरात के होंगे तो वहीं बाकी अन्य राज्यों से आएंगे। इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, केंद्र शासित प्रदेश और अन्य राज्यों के सरपंच भाग लेंगे।

उन्होंने कहा कि गांधी के स्वच्छता के सपने को सामाजिक मिशन के रूप में लेते हुए पीएम ने इस दिशा में जागरूकता पैदा करने में देश का बेहतरीन तरीके से नेतृत्व किया। एनडीए ने अपने पहले कार्यकाल में स्वच्छ भारत और शौचालयों का निर्माण बड़े स्तर पर करवाया था। शौचालयों का निर्माण विशेष रूप से बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्रों में किया गया था।

बता दें कि इससे पहले पेयजल और स्वच्छता विभाग ने जानकारी दी है कि देश के देश के 5,99,963 गावों को खुले में शौच मुक्त बना दिया गया है। विभाग ने यह भी जानकारी दी कि 699 जिलों को खुले में शौच मुक्त करने के टारगेट को 2 अक्टूबर की तय डेडलाइन से पहले पूरा लिया जाएगा। वहीं शहरी विकास मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि हम बहुत जल्द ऑडिट पूरा करेंगे। ऑडिट के लिए एक कड़े सिस्टम का पालन किया जा रहा है, और यही वजह है कि कुछ शहरों को खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) का दर्जा पाने के लिए कड़े मापदंडों का पालन करना पड़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यू एच ओ) ने खुले में शौच को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 2000 से 2017 के बीच भारत में खुले में शौच करने में 47 फीसदी की कमी आई है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की लगभग आधी आबादी ने खुले में शौच करने की आदत को खत्म कर दिया है।

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