धरती अपनी धुरी पर रफ्तार से घूम रही है। यदि इसका अपनी धुरी पर घूमना थमने लगे तो इसका परिणाम क्या होगा? वैज्ञानिकों की मानें तो यदि ऐसा हुआ तो धरती पर जीवन संकट में पड़ जाएगा। नासा के वैज्ञानिकों का कहना है, कि धरती के अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार धीमी हो रही है। जिससे चंद्रमा इससे धीरे धीरे दूर होता जा रहा है। यह घटना बड़े भूकंपों की वजह बन सकती है।
नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के सोलर सिस्टम के एम्बेस्डर मैथ्यू फुन्के के मुताबिक चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी पर एक ज्वारीय उभार बनाता है। यह उभार भी धरती की घूर्णन गति से घूमने का प्रयास करता है। इससे धरती की अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार सुस्त पड़ जाती है। वैज्ञानिकों का मत है कि धरती की घूर्णन गति या अपनी धुरी पर घूमने की गति सुस्त पड़ने से भूकंपीय घटनाएँ बढ़ जाती है।
वैज्ञानिकों की मानें तो यह ब्रह्मांड कोणीय संवेग के सिद्धांत पर काम करता है। ब्रह्मांड में मौजूद पिंडों की गति भले ही अलग अलग हो, लेकिन उनके कोणीय संवेग का योग नहीं बदलता है। चंद्रमा की वजह से जब धरती का कोणीय संवेग मंद पड़ता है तो चंद्रमा इसे संतुलित करने के लिए अपनी कक्षा में थोड़ा और आगे बढ़ जाता है। अध्ययन के मुताबिक चंद्रमा हर साल लगभग डेढ़ इंच आगे बढ़ रहा है। जिससे धरती पर भविष्य में बड़े भूकंप आ सकते हैं।
कोलोराडो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक रोजर बिल्हम और मोंटाना यूनिवर्सिटी के रेबेक्का बेंडिक (त्मइमबबं ठमदकपबा) ने अपने अध्ययन में पाया कि वर्ष 1900 के बाद से सात से अधिक की तीव्रता वाले भूकंपों में इजाफा हुआ है। 20वीं सदी के अंतिम पांच वर्षों में जब धरती की घूर्णन गति में थोड़ी कमी देखी गई तब सात से अधिक के तीव्रता के भूकंपों की संख्या अधिक थी। वैज्ञानिकों ने इस दौरान हर साल 25 से 30 तेज भूकंप दर्ज किए। इनमें औसतन 15 बड़े भूकंप थे।
इस अध्ययन से पहले लंदन के वैज्ञानिक माइकल स्टीवंस ने अपने अध्ययन में पाया था कि धरती यदि एकाएक घूमना बंद का वातावरण गतिमान बना रहेगा। हवा 1,670 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी। यह तूफानी हवा रास्ते में आने वाली हर चीज को ध्वस्त करती चली जाएगी। मनुष्य किसी बंदूक की गोली की रफ्तार से एक दूसरे से टकराएंगे। इसके साथ ही पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र समाप्त हो जाएगा।
वैज्ञानिक माइकल स्टीवंस के मुताबिक धरती का घूर्णन थमने से नारंगी के आकार वाली पृथ्वी पूरी तरह से गोल हो जाएगी। समद्रों का पानी एकाएक उछलने से बाढ़ की स्थिति होगी। पृथ्वी पर आधे साल दिन रहेगा और आधे साल रात रहेगी। इससे धरती पर इंसानों की आबादी खत्म हो जाएगी। हालांकि नासा वैज्ञानिकों की मानें तो कई अरब साल तक ऐसी घटना होने की कोई आशंका नहीं है।
इससे पहले हुए एक अध्ययन में पाया गया था कि धरती पर दिशा की जानकारी देने वाला मैग्ननेटिक नॉर्थ पोल अपनी स्थिति बदल रहा है। मैग्नेटिक नॉर्थ पोल का डायरेक्शन उत्तर ध्रुव से सालाना 55 किलोमीटर की दर से साइबेरिया की तरफ खिसक रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो बीते कुछ दशकों में पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रूव इतनी तेजी से खिसका है कि पूर्व में लगाए गए अनुमान अब जलमार्ग के लिए सही नहीं बैठ रहे हैं।
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया है कि मैग्ननेटिक नॉर्थ पोल के स्थान बदलने से जलमार्ग के जरिए यातायात में समस्याएं आ रही हैं। कॉलाराडो यूनिवर्सिटी के भूभौतिक विज्ञानी एवं नए वर्ल्ड मैगनेटिक मॉडल के प्रमुख शोधकर्ता अर्नाेड चुलियट ने बताया कि इस बदलाव की वजह से स्मार्टफोन और उपभोक्ता के इस्तेमाल वाले कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स कंपासों में समस्या आ रही है। भूकंप एक ऐसी विपदा है जिसे इंसान आज तक डीकोड नहीं कर सका है।