उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ब्लॉक प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षो के चुनाव सीधे जनता द्वारा कराए जाने सम्बंधित जनहित याचिका की सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। न्यायालय ने सरकार और चुनाव आयोग से पूछा था कि पंचायती राज एक्ट में चुनाव में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए क्या प्रावधान किये गए है। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए आयोग द्वारा टीमें गठित करने और चैकिंग करने की बात कही है।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई। मामले के अनुसार देहरादून निवासी विपुल जैन ने जनहित याचीका दायर कर कहा है कि प्रदेश के पंचायती चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनावों में सदस्यों की बड़ी बोली लगती है और वोट इसमें वोट खरीदे जाते है। साथ ही वोट के नाम पर जिला पंचायत के सदस्यों को देश विदेश के टूर पर भेजा जाता है और चुनाव जीतने के बाद प्रतयाशी भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते है। याचिका में आरोप लगाया गया कि इस दौरान पंचायत सदस्यों का अपहरण भी कर लिया जाता है, जिससे प्रदेश की कानून व्यवस्था बिगड़ती है और बाद में पुलिस राजनतीक दबाव के कारण मामला दबा देती है। लिहाजा इस चुनाव व्यवस्था को सुधारने के लिये न्यायालय, राज्य सरकार को दिशा निर्देश जारी करें कि इनका चुनाव सीधे जनता से कराया जाए।मामले पर सुनवाई पूरी हो गई है, किन्तु फैसला सुरक्षित रखा गया है।