जेन्डर सेन्सिटाइजेशन के लिये महिलाओं की जागरूकता व पुरूषों की संवेदनशीलता जरूरी

जेन्डर सेन्सिटाइजेशन के लिये महिलाओं को जागरूक करना और पुरूषों को संवेदनशील होना जरूरी - जस्टिस टण्डन

देहरादून, 24 सितम्बर
उत्तराखण्ड लाॅ कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस राजेश टण्डन ने कहा कि जेन्डर सेन्सिटाइजेशन को सफल बनाने के लिये आवश्यकता है कि महिलाओं को उनके लिये बनाये गये विशेष कानून के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ पुरूषों को भी इस विषय के प्रति संवेदनशील बनाया जाये। जस्टिस टण्डन आज ग्राफिक एरा डीम्ड विश्वविद्यालय में “जेन्डर सेन्सिटाइजेशन” विषय पर आयोजित लेक्चर सिरीज़ में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।
विश्वविद्यालय के ह्यूमेनिटीज और सोशल सांइसेज विभाग ने इस लेक्चर सिरीज़ का आयोजन जेन्डर सेन्सिटाइजेशन सेल के तत्वाधान के अंतर्गत किया। जस्टिस टण्डन ने कहा कि भारतीय संविधान में अनुच्छेद 15 के तहत किसी भी महिला के साथ लिंग भेद करना एक अपराध है। इसके साथ ही संविधान में महिलाओं के लिये कुछ विशेषाधिकार भी सुनिश्चित किए गए हैं। जेन्डर सेन्सिटाइजेशन को सफल बनाने के लिये आवश्यकता है कि महिलाओं को इन विशेषाधिकारों के बारे में जागरूक किया जाये। जस्टिस टण्डन ने “द प्रोहिबिशन ऑफ़ चाइल्ड मैरिज एक्ट”, “स्पेशल मैरिज एक्ट”, “डाउरी प्रोहिबिशन एक्ट”, “मैटेरनिटी बेनीफिट एक्ट”, “मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी एक्ट”, “सेक्सुअल हैरेसमेण्ट ऑफ़ वीमेन एट वर्क प्लेस”, “इक्वल रिनुमिनेशन एक्ट” और “इन्डिसेण्ट रिप्रेजेनटेशन ऑफ़ वीमेन (प्रिवेंशन) एक्ट” जैसे विशेष क़ानूनों का सख्ती से पालन किये जाने पर जोर दिया।
ग्राफिक एरा डीम्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डॉ0) आर0 के0 शर्मा ने कहा कि विश्व में व्याप्त लैंगिक असमानता का मुख्य कारण हमारी “औरत कमजोर है” वाली मानसिकता है। सफल जेन्डर सेन्सिटाइजेशन के लिये हमें समाज से इसी मानसिकता को मिटाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में ग्राफिक एरा डीम्ड विश्वविद्यालय के प्रो0 वाईस चांसलर प्रो0 (डॉ0) एच0 एन0 नागराजा एवं लाॅ, होटल मैनेजमेण्ट और मैनेजमेण्ट विभाग के शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन वि0वि0 के जेन्डर सेन्सिटाइजेशन की अध्यक्षा डॉ0 आर0 के0 धर ने किया।
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