नेवी भर्ती परीक्षा में साइबर सेंध: जेबीआईटी में ऑनलाइन परीक्षा कंप्यूटर हैक करवा परीक्षा दे रहा व्यक्ति दबोचा

देहरादून ब्यूरो चीफ - डिजिटल

नेवी की ऑनलाइन भर्ती परीक्षा केंद्र जेबीआईटी सहसपुर देहरादून पर एक नाबालिग परीक्षार्थी परीक्षा केंद्र के कंप्यूटर को बाहर से संचालित करवाकर परीक्षा के प्रश्न हल करवा रहा था। कंप्यूटर और संस्थान के नेटवर्क की सुरक्षा को आसानी से भेद कर परीक्षार्थी ने परीक्षा के प्रश्नों को लीक करने के साथ ही संपूर्ण परीक्षा की गोपनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया। परीक्षार्थी अपनी शीट पर बैठ मात्र पेपर हल होते देख रहा था। काफी समय तक ऐसा होते परीक्षा आब्जर्वर ने देख लिया कि कंप्यूटर पर परीक्षार्थी द्वारा कोई काम किये बगैर प्रश्नों के उत्तर अपने आप हल हो रहें हैं। अतः आब्जर्वर ने परीक्षार्थी को परीक्षा देने से रोक लिया और मामले को समझ से परे मानकर इसकी जानकारी दिल्ली मुख्यालय को भेज दी।

सोमवार 16 सितम्बर को नेवी की नौसैनिक ऑनलाइन भर्ती परीक्षा के एक केंद्र जेबीआईटी में एक कैंडिडेट ने अपना कंप्यूटर निरीक्षक से बच कर किसी तकनीकी की मदद से हैक करा लिया। फिर कैंडिडेट का कंप्यूटर बाहर से ऑपरेट होने लगा। परीक्षार्थी के बिना माउस चलाए प्रश्नों के उत्तर स्वतः क्लिक होने लगे। एक के बाद एक सवालों के हल खुद होता देख परीक्षा केंद्र ऑब्जर्वर के कान खड़े हो गए। उन्होंने कैंडिडेट की हरकतें देखनी शुरू की और मामला समझ लिया कि कैंडिडेट का कंप्यूटर बाहर से रिमोट तकनीक से ऑपरेट हो रहा है। एक दिन बाद मंगलवार को परीक्षा आयोजक कंपनी ने नाबालिग परीक्षार्थी के खिलाफ सहसपुर थाने में तहरीर दी। थानाध्यक्ष पी डी भट्ट ने बताया कि मामला एस0 पी0 क्राइम ऑफिस भेज कर इन्वेस्टीगेशन में आवश्यक मदद ली जायेगी और नाबालिग के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मामला दर्ज किया जायेगा। अब देखना यह है कि इस केस में परीक्षा की गोपनीयता व वैधता किस स्तर तक मानी जायेगा? और इस मामले में कौन-कौन दोषी पाए जाते है?

सुरक्षा का तरीका:

नियमावली के हिसाब से ऑनलाइन परीक्षा की सुरक्षा, गोपनीयता और सजगता हेतु उपयोग में लाये जा रहे कंप्यूटर पर परीक्षार्थी को सीमित एक्सेस दी जाती है, साथ ही हर एक परीक्षार्थी पर नजर होती है की वह कोई अवांछनीय गति विधि जैसे उस कंप्यूटर पर कोई अन्य साइट न खोले, सॉफ्टवेयर इनस्टॉल न कर पाए, जिससे वह किसी तरह की जानकारी बाहर साझा न कर सके। इस तरह सावधानी बरत कर ही परीक्षा की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित की जा सकती है।

साथ ही ऑनलाइन परीक्षा कराने वाली अनुभवी कम्पनीज हर एक परीक्षार्थी को एक वर्चुअल मशीन सॉफ्टवेयर पर ही परीक्षा देने के लिए लॉगिन करवाती हैं, जिसका आई0 पी0 एड्रेस पूर्र्णतः डायनामिक होता है और किसी से आसानी से साझा नहीं किया जा सकता।

मामले गंभीरता और जिम्मेदारी

उपर्युक्त मामले की सरलता के दृष्टिगत केंद्र में परीक्षा हेतु इस्तेमाल किये जा रहे कम्प्यूटर और नेटवर्क पर आवश्यक सुऱक्षा और सीमित एक्सेस के अभाव में परीक्षार्थी द्वारा आसानी से परीक्षा के प्रश्न बाहर बैठे मदद करने वाले लोगों या गिरोह के साथ साझा भी किये गए और मदद भी ली जा रही थी। मामले की संगीनता देखते हुए केंद्र पर इस्तेमाल किये जा रहे कम्प्यूटर्स और नेटवर्क को तुरंत प्रभाव से नियंत्रण में लेकर फॉरेंसिक इन्वेस्टीगेशन किया जाना चाहिए था।

नाबालिग के खिलाफ परीक्षा आयोजक कंपनी ने थाने में तहरीर देकर शिकायत की, लेकिन नौसेना द्वारा मामले की गंभीरता के मद्देनजर परीक्षा आयोजित करने वाली कंपनी पर भी लापरवाही व सुरक्षित प्रणाली इस्तेमाल में न लाने की जाँच होनी चाहिए।

आब्जर्वर सजग होने से एक मामला पकड़ में आ गया, और यह भी बिदित नहीं कि ऐसा कोई और भी मामला उस केंद्र पर या किसी और केंद्र पर चल रहा था या नहीं? साथ ही मामले की जाँच के लिए उपयोग किये जा रहे कंप्यूटर को कब्ज़े में भी लिया गया या नहीं?

गौरतबल है की डिजिटल भारत मुहिम के तहत देश में सैन्य परीक्षाएँ भी ऑनलाइन की जा रही हैं। नौसेना की इस पहली परीक्षा में ही एक केंद्र पर परीक्षार्थी द्वारा सरलता से बाहरी एक्सपर्ट्स की सफलतापूर्वक मदद लेते हुये आब्जर्वर द्वारा पकड़ा जाना पूरी परीक्षा पर ही प्रश्न चिन्ह लगता है। साथ ही सम्भावना है कि कोई गिरोह देश के सभी प्रमुख शहरों में चल रही ऑनलाइन परीक्षा में अन्य परीक्षार्थियों की भी मदद कर रहे होंगे। अतः नौसेना मुख्यालय को मामले की स्वयं जाँच करा कर परीक्षा की गोपनीयता के मद्देनहर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।

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