हिन्दी दिवस पर विशेष
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शीर्षक: क्योंकि मैं हिन्दी हूँ
मैं हिन्दी हूँ,
सबको एक डोर में बांधती हूँ।
मैं हिन्दी हूँ,
हर भाषा को अपनी सगी बहन मानती हूं,
क्योंकि मैं हिन्दी हूँ।
आपसी पहचान सभी की गहरी हो,
यही कामना मैं करती हूँ।
गर्व हो सभी बोलियों पर हमें,
यही साधना मैं करती हूँ।
क्योंकि मैं हिन्दी हूँ।
सनातन धर्म की आवाज़ हूँ,
वेदों की आत्मा, भावनाओं का साज हूँ।
खो मत देना मुझे कहीं तुम,
मैं तुम्हारा कल और आज हूँ।
क्योंकि मैं हिन्दी हूँ।।
इस वतन की आन हूँ मैं,
हिन्दी कवियों की शान हूँ मैं।
व्याकरण हो या स्वर व्यंजन,
सुर - संगीत का मधुर गान हूँ मैं,।
क्योंकि मैं हिन्दी हूँ।।
बचा लो मुझे,
मेरा अस्तित्व खो रहा है,
अंग्रेज़ी के बोलबाले में,
अब हिन्दुत्व सो रहा है।
करो न अपमान मेरा,
अब जाग जाओ तुम।
सम्मान करो मेरा और देखो,
वतन एक हो रहा है।।
क्योंकि मैं हिन्दी हूँ।।।
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। नीलम डिमरी, स्थान: गोपेश्वर