हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के एसीएल सभागार में हिंदी दिवस 2019 धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रभारी कुलपति प्रोफ़ेसर एस0 सी0 बागड़ी, कुलसचिव ए0 के0 झा, छात्र अधिष्ठाता प्रोफ़ेसर पी0 एस0 राणा समेत अन्य पदाधिकारियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया । कार्यक्रम की समन्वयक डॉ0 गुड्डी बिष्ट ने बताया कि हिंदी दिवस के अवसर पर 14 सितंबर से 28 सितंबर तक हिंदी पखवाड़ा समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जिसकी विधिवत शुरुआत आज से हो गई है।
हिंदी पखवाड़ा समारोह के तहत आगामी 14 दिनों तक विभिन्न कार्यक्रमों के साथ भाषण निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी। छात्र संघ महासचिव प्रदीप पवार ने इस अवसर पर मंच पर उपस्थित विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों से अनुरोध किया कि विश्वविद्यालय द्वारा सूचना पत्र जारी किए जाते हैं, उन्हें हिंदी में भी जारी किया जाए। उप कुलसचिव संजय ध्यानी ने कहा कि अन्य भाषाओं के मुकाबले हिंदी भाषा व्याकरण की दृष्टि से विश्व की भाषाओं में समृद्ध है जो देश के लिए गर्व की बात है। वहीं प्रभारी नियंता आरपीएस ने कहा कि देश की महान विभूति महात्मा गांधी, दयानंद सरस्वती जैसे विचारकों ने अंग्रेजी त्याग कर हिंदी का अनुकरण किया, लेकिन समय के साथ देश में जितनी तेजी से अंग्रेजी का प्रभाव पड़ा, उससे हिंदी की गति कम हुई।
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर ए0 आर0 डंगवाल ने कहा कि आजादी के 73 साल बाद भी हिंदी को राष्ट्रभाषा नहीं बनाया जा सका, यह दुर्भाग्य की बात है। हिंदी के नाम पर हिंदी दिवस मनाना औपचारिकता मात्र है, क्योंकि देश में हिंदी राजनीति की शिकार है। आज कई मौकों पे हिंदीभाषी भी हिंदी का प्रयोग करने में खुद को हीन भावना से महसूस करता हैं, जिससे बाहर आने की आवश्यकता है। कुलसचिव ए0 के0 झा ने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए मंच से ही कई निर्देश दिए, और कहा कि हिंदी पखवाड़ा समारोह के सभी कार्यक्रमों को विश्वविद्यालय की सोशल मीडिया साइट पर अपलोड किया जाए और उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी सूचनाओं और बोर्ड को हिंदी में लिखने के निर्देश दिए।
इस मौके पर मुख्य वक्ता डॉ0 उमा मैथाणी ने हिंदी की महत्ता व वैचारिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए हिंदी को व्यवहारिक रूप से अपनाने की बात कही। कुलपति प्रोफेसर एस0 सी0 बागड़ी ने भी हिंदी के वैश्विक प्रभाव को अपने अनुभव के साथ साझा किया और हिंदी को संस्कारों की भाषा बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो0 प्यार सिंह राणा ने सभी अतिथियों का धन्यवाद करते हुए हिंदी पखवाड़ा समारोह के लिए शुभकामनाएं दी और कहा कि हिंदी को राजभाषा बनाने के लिए सब का योगदान होना चाहिए। इस मौके पर डॉ0 अनूप सेमवाल, डॉ0 गरिमा डिमरी, डॉ0 पूनम शर्मा, डॉ0 प्रियंका घिल्डियाल, डॉ0 सावित्री रावत, डॉ0 सविता मैठाणी आदि शोध-शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
हिंदी पखवाड़ा समारोह के तहत आगामी 14 दिनों तक विभिन्न कार्यक्रमों के साथ भाषण निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी। छात्र संघ महासचिव प्रदीप पवार ने इस अवसर पर मंच पर उपस्थित विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों से अनुरोध किया कि विश्वविद्यालय द्वारा सूचना पत्र जारी किए जाते हैं, उन्हें हिंदी में भी जारी किया जाए। उप कुलसचिव संजय ध्यानी ने कहा कि अन्य भाषाओं के मुकाबले हिंदी भाषा व्याकरण की दृष्टि से विश्व की भाषाओं में समृद्ध है जो देश के लिए गर्व की बात है। वहीं प्रभारी नियंता आरपीएस ने कहा कि देश की महान विभूति महात्मा गांधी, दयानंद सरस्वती जैसे विचारकों ने अंग्रेजी त्याग कर हिंदी का अनुकरण किया, लेकिन समय के साथ देश में जितनी तेजी से अंग्रेजी का प्रभाव पड़ा, उससे हिंदी की गति कम हुई।
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर ए0 आर0 डंगवाल ने कहा कि आजादी के 73 साल बाद भी हिंदी को राष्ट्रभाषा नहीं बनाया जा सका, यह दुर्भाग्य की बात है। हिंदी के नाम पर हिंदी दिवस मनाना औपचारिकता मात्र है, क्योंकि देश में हिंदी राजनीति की शिकार है। आज कई मौकों पे हिंदीभाषी भी हिंदी का प्रयोग करने में खुद को हीन भावना से महसूस करता हैं, जिससे बाहर आने की आवश्यकता है। कुलसचिव ए0 के0 झा ने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए मंच से ही कई निर्देश दिए, और कहा कि हिंदी पखवाड़ा समारोह के सभी कार्यक्रमों को विश्वविद्यालय की सोशल मीडिया साइट पर अपलोड किया जाए और उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी सूचनाओं और बोर्ड को हिंदी में लिखने के निर्देश दिए।
इस मौके पर मुख्य वक्ता डॉ0 उमा मैथाणी ने हिंदी की महत्ता व वैचारिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए हिंदी को व्यवहारिक रूप से अपनाने की बात कही। कुलपति प्रोफेसर एस0 सी0 बागड़ी ने भी हिंदी के वैश्विक प्रभाव को अपने अनुभव के साथ साझा किया और हिंदी को संस्कारों की भाषा बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो0 प्यार सिंह राणा ने सभी अतिथियों का धन्यवाद करते हुए हिंदी पखवाड़ा समारोह के लिए शुभकामनाएं दी और कहा कि हिंदी को राजभाषा बनाने के लिए सब का योगदान होना चाहिए। इस मौके पर डॉ0 अनूप सेमवाल, डॉ0 गरिमा डिमरी, डॉ0 पूनम शर्मा, डॉ0 प्रियंका घिल्डियाल, डॉ0 सावित्री रावत, डॉ0 सविता मैठाणी आदि शोध-शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।