मोदी सरकार के 100 दिन: भरोसे में कमी, लेकिन आशाएं तो हैं

मोदी सरकार के 100 दिन: भरोसे में कमी,लेकिन आशाएं तो हैं

मेघनाद देसाई, अर्थशास्त्री व ब्रिटिश राजनेता Updated Mon, 09 Sep 2019 03:13 
नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी - फोटो : ANI
सही है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी की आहट है, मगर अर्थव्यवस्था के पुरानी रफ्तार पकड़ने की उम्मीदें अभी भी कायम हैं। खासतौर पर शनिवार को मुंबई में पीएम मोदी की घोषणाओं से उम्मीद बंधी है कि अर्थव्यवस्था फिर से मजबूती की राह पकड़ेगी। मुझे लगता है कि पहले कार्यकाल में अर्थव्यवस्था में बेहतर करने वाली मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल के शुरुआती दौर में बड़े सियासी अभियानों में उलझ गई। अनुच्छेद 370, तीन तलाक जैसे मामलों में पीएम मोदी को घरेलू  राजनीति ही नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी मोर्चा संभालना पड़ा। खासतौर से अनुच्छेद 370 पर पाकिस्तान और चीन के कूटनीतिक अभियान के खिलाफ पीएम मोदी को अकेले मोर्चा संभालना पड़ा। आम बजट के कई प्रावधानों में भ्रम स्पष्ट रूप से दिखा। मेरा मानना है कि आर्थिक क्षेत्र में स्थिति को संभालने के लिए पीएम मोदी के पास अनुभवी लोगों की कमी है।
पीएम मोदी अब खुद इस मोर्चे पर जुटे हैं। मुंबई में उद्योगपतियों से संवाद इसका उदाहरण है। मुंबई में उनके कार्यक्रम के बाद मुझे लगता है कि पीएम मोदी आर्थिक मोर्चे पर जुट गए हैं। उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर में कई लाख करोड़ लगाने की घोषणा की है। मुझे लगता है कि अक्टूबर महीने तक अर्थव्यवस्था में नए सिरे से जान फूंकने के लिए कई अहम घोषणा की जा सकती हैं। पीएम को अर्थव्यवस्था पर विस्तार से अपनी बात देश के सामने रखनी चाहिए, क्योंकि वर्तमान में सरकार में ऐसा कोई चेहरा नहीं है जिस पर निवेशक और अन्य क्षेत्रों के दिग्गज विश्वास कर सकें।
सरकार ने 50 खरब डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है। भारत को कम से कम आठ फीसदी विकास दर रखनी होगी। अमेरिका-चीन में जारी व्यापार युद्ध से भारत को विदेश निवेश का बड़ा लाभ हो सकता है। सरकार भी नई योजना लाएगी। सच है कि अर्थव्यवस्था पर दुनिया के विश्वास में कमी आई है, मगर उम्मीदें अभी बाकी ही हैं।

मेघनाद देसाई
अर्थशास्त्री व ब्रिटिश राजनेता
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