ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में दो दिवसीय आईईईई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 11 अक्टूबर को शुरू

देहरादून ब्यूरो

देहरादून, 11 अक्टूबर

आज 11 अक्टूबर को ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी, देहरादून में “इनोवेटिव सस्टेनेबल कम्प्यूटेशनल टेक्नोलॉजीज” पर दो दिवसीय आईईईई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ। सम्मेलन संयुक्त रूप से कंप्यूटर साइंस & इंजीनियरिंग विभाग और ग्राफिक एरा आईईईई छात्र अध्याय द्वारा आयोजित किया गया है। उदघाटन सत्र में सम्मेलन के संयोजक डॉ0 सचिन शर्मा ने बताया कि इस तरह के सम्मेलन छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए विशिष्ट विषयों का ज्ञान बढ़ाने और अनुसंधान हेतु बहुत सहायक होते हैं। इसके अलावा इस तरह के सम्मेलनों में शोधकर्ताओं के शोध कार्य का मूल्यांकन भी किया जाता है और शोध कार्य की गुणवत्ता बृद्धि व और सामाजिक प्रभाव बढ़ाने हेतु उपयोगी दिशा निर्देश भी दिए जाते हैं।

डॉ0 राकेश शर्मा, कुलपति, ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी ने अपने संबोधन में बताया कि नवीनतम कम्प्यूटेशनल तकनीकें सतत विकास के लिए अनुसंधान में बहुत सहायक और प्रभावी साबित होती हैं। डॉ0 शर्मा ने सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि शोधकर्ताओं और छात्रों द्वारा साथ-साथ शोध शुरू कर नये आयाम हासिल किये जा सकते हैं। कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ0 डी पी सिंह ने वोट ऑफ़ थैंक्स में कहा कि ऐसे विशिष्ट सम्मेलन शोधकर्ताओं और छात्रों के बीच संपर्क, सहयोग और अनुसंधान के लिए एक उपयोगी मंच के रूप में काम करते हैं।

प्रथम वक्ता के रूप में विशेषज्ञ डॉ0 गुलशन रहलान, पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएएआरसी), मुंबई ने "फ़्यूचर इनोवेशंस एंड टेक्नोलॉजी" विषय के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि न्यूक्लियर एटॉमिक एनर्जी के क्षेत्र में इनोवेटिव कम्प्यूटेशनल तकनीकी बहुत उपयोगी है। उन्होंने उभरती नैनो प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान के बारे में भी बताया। साथ ही चंद्रयान -2 मिशन और इस्तेमाल की गयी प्रमुख तकनीकों के बारे में भी जानकारी दी। डॉ0 गुलशन ने उपस्थित युवा शोधकर्ताओं और छात्रों को नवीन सोच के साथ अनुसंधान कर समाज और राष्ट्र विकास में योगदान देने के लिए भी प्रेरित किया।

विशेषज्ञ डॉ0 उपासना गीतांजलि सिंह, यूनिवर्सिटी ऑफ क्वा-ज़ुलु नेटाल (वेस्टविले कैंपस), दक्षिण अफ्रीका ने “साइबरबुलिंग पर अंकुश लगाने के लिए मशीन लर्निंग उपयोग” विषय पर विस्तार से बताया। साथ ही उन्होंने सोशल नेटवर्क्स के माध्यम से संभावित साइबरबुलिंग अपराध की संभावनाओं के बारे में भी चर्चा की। दुनिया भर में साइबरबुलिंग के बढ़ते मामलों को समझने और सुलझाने हेतु मशीन लर्निंग में हो रहे शोध कार्यं पर भी चर्चा की। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि कैसे मशीन लर्निंग तकनीकी के उपयोग से साइबर अपराधों से समाज की सुरक्षा हेतु मदद की जा सकती है।

अगले सत्र के आरम्भ में विशेषज्ञ डॉ0 पी सतीश कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, आईआईटी रुड़की ने "मोबाइल एज कम्प्यूटिंग में ऊर्जा दक्षता और सेवा उपलब्धता" विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि कैसे ऊर्जा दक्षता और सेवा उपलब्धता क्लाउड और एज कम्प्यूटिंग के क्षेत्र में हासिल की जा सकती है इसके अलावा, डॉ0 सतीश ने उपस्थित शोधकर्ताओं को एज कम्प्यूटिंग में ऊर्जा दक्षता में विभिन्न अनुसंधान चुनौतियों को समझने और अनुसंधान से हल करने के लिए प्रेरित किया।

सम्मेलन के प्रथम दिन प्रस्तुत किए गए विभिन्न शोध पत्र चार प्रमुख थीम: i-Health, i-Smart City, i-Energy, i-Engineering पर आधारित थे। प्रस्तुत किये गए प्रमुख शोध पत्र- “ऑनलाइन इंटीग्रेटेड वेस्ट मैनेजमेंट फ्रेमवर्क,” "इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित होम ऑटोमेशन सिस्टम", "आपदा प्रबंधन में रोबोटिक्स", "हाई राइज बिल्डिंग्स के लिए ग्लास क्लीनिंग रोबोट", "आईओटी आधारित - स्व-निगरानी: आई-डॉक्टर” “डीप लर्निंग स्ट्रेटजी फॉर डेटासैट वॉल्यूम", और "मास बैलेंस रिटेंशन फॉर ए नोटेशन एंड बेस वेट इन ए पेपर मशीन" इत्यादि थे।

सम्मेलन में विभिन्न राज्यों: हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, झारखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, असम, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, और तमिलनाडु आदि के शोधकर्ताओं द्वारा रिसर्च पेपर्स प्रस्तुत किए गए।

उद्घाटन सत्र में प्रो0 (डॉ0 ) आर सी जोशी, चांसलर, ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी, डॉ0 राकेश शर्मा, कुलपति, ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी, प्रो0 (डॉ0) संजय जसोला, कुलपति, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी, प्रो0 (डॉ0) डी आर गंगोदकर, डीन इंटरनेशनल अफेयर्स, प्रो0 डॉ0 भास्कर पंत, डीन रिसर्च, प्रो0 (डॉ0) डी पी सिंह, विभागाध्यक्ष, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, डॉ0 संतोष कुमार, डॉ0 अंकुर दुमका, डॉ0 मांगे राम, डॉ0 प्रीति मिश्रा, रमेश रावत, सम्मेलन समिति के सदस्य और शोधकर्ता उपस्थित थे।

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