पाकिस्तान को सता रहा ब्लैकलिस्ट होने का डर

ब्रसेल्स, एएनआइ।

ब्रसेल्स, एएनआइ। पाकिस्तान और इमरान खान के लिए आने वाले कुछ दिन बेहद ही चिंताजनक होने वाले हैं। पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट होने का डर सता रहा है। वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) प्लेनरी और वर्किंग ग्रुप की बैठक सोमवार से शुरू हो रही है। इस दौरान यह फैसला होगा कि क्या पाकिस्तान ने मनी-लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग को लेकर के अपराधों में शामिल लोगों के खिलाफ कदम उठाया है कि नहीं। ब्लैकलिस्ट होने से बचने के लिए पाकिस्तान सदस्य देशों तक पहुंचकर रो चुका है। उसका कहना है कि इससे उसकी अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचेगी, लेकिन अमेरिका और यूरोप के राजनयिकों के अनुसार ऐसा कुछ नहीं होने वाला है।

एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा था और एक साल की अवधि में उसे इससे निकलने के लिए आतंक के खिलाफ 27-पॉइंट एक्शन प्लान को लागू करने के निर्देश दिए थे। इसमें बैंकिंग और गैर-बैंकिंग क्षेत्राधिकार, पूंजी बाजार, कॉर्पोरेट और गैर-कॉर्पोरेट क्षेत्रों जैसे चार्टर्ड अकाउंटेंसी, वित्तीय सलाहकार सेवाओं, लागत और प्रबंधन लेखा फर्म के माध्यम से प्रतिबंधित संगठनों और गैर-सरकारी संस्थाओं, आभूषण और इसी तरह की संबंधित सेवाएं द्वारा मनी-लॉन्ड्रिंग और आतंक-वित्तपोषण के खिलाफ सुरक्षा उपाय शामिल हैं।

हम्माद अजहर की मौजूदगी में जांच

सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान के प्रतिभूति और विनिमय आयोग (Securities and Exchange Commission) द्वारा तैयार एक अनुपालन रिपोर्ट (compliance report) की जांच पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के विभाग के मंत्री हम्माद अजहर की मौजूदगी में की जाएगी।

APJG की कार्रवाई

एफएटीएफ के अनुसार, यदि पाकिस्तान 27-पॉइंट एक्शन प्लान को लागू करने में विफल रहता है, तो देश को ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। अगस्त 2019 में, एशिया पैसिफिक जॉइंट ग्रुप (APJG) ने अपने मानकों को पूरा करने में विफल होने पर पाकिस्तान को एन्हांस्ड फॉलोअप सूची में डाल दिया था।

पाकिस्तान को सिर्फ 10 अंक मिला

अगस्त में कैनबरा में एशिया पैसिफिक ग्रुप की बैठक हुई थी। इस बैठक के दौरान 40 में से केवल 10 बिंदुओं पर ही पाकिस्तान के कार्रवाई को संतोषजनक माना गया था। इस दौरान 40 में से पाकिस्तान की 30 मानकों पर कार्रवाई को असंतोषजनक माना गया और 11 प्रभावशीलता मापदंडों में से पाकिस्तान को सिर्फ 10 अंक मिला।

पाकिस्तान का रोना

पाकिस्तान यह कहते हुए सभी सदस्य देशों तक पहुंच गया है कि वह अपनी कार्ययोजना को पूरा करने में प्रगति कर रहा है और ब्लैकलिस्ट करने से उसकी आर्थिक समस्या और बढ़ जाएगी। इस कदम से उसके लेन-देन और व्यापार को धीमा होगा, जिससे आइएमएफ का कर्ज चुकाने की इसकी क्षमता प्रभावित होगी। (साभार एएनआइ)

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