एम्स डॉक्टरों ने खोजी आयुर्वेदिक ‘एंटीबॉयोटिक दवा’ फीफाट्रोल
एम्स नई दिल्ली के डॉक्टरों को आखिरकार आयुर्वेदिक ‘एंटीबॉयोटिक दवा’ खोजने में सफलता हासिल हुई है। चर्चित आयुर्वेदिक औषधि मृत्युंजय रस से बनी फीफाट्रोल नाम की यह दवा आम एलोपैथिक एंटीबॉयोटिक से भी कहीं ज्यादा प्रभावी है और इंसान के शरीर में संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरियाओं को निष्क्रिय कर सकती है। एम्स के माइक्रोबॉयोलॉजी विशेषज्ञों ने मार्च, 2017 में डॉ. समरन सिंह के निर्देशन में यह अध्ययन शुरू किया था। समरन सिंह फिलहाल भोपाल एम्स के निदेशक हैं। कई औषधियों की जांच के बाद फीफाट्रोल में एंटीबॉयोटिक दवा जैसे गुण पाए गए।
डॉक्टरों का कहना है कि एंटीबॉयोटिक जैसे गुण होने के बावजूद फीफाट्रोल का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है, जबकि एंटीबॉयोटिक दवाओं के इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभावों के कारण हीं उनके खिलाफ दुनिया भर में मुहिम चल रही है। जल्द ही यह अध्ययन रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी जाएगी। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस खोज से सरकार को भी आयुर्वेदिक एंटीबॉयोटिक के रूप में विकल्प मिला है, जिसका इस्तेमाल शहरों से लेकर ग्रामीण स्तर तक स्वास्थ्य सुरक्षा में किया जाएगा। फीफाट्रोल में मृत्युंजय रस के अलावा सुदर्शन वटी, संजीवनी वटी, गोदांती भस्म, त्रिभुवन कीर्ति रस शामिल है। इसके अलावा आठ अन्य औषधीय अंशों तुलसी, कुटकी, चिरयात्रा, मोथा, गिलोय, दारुहल्दी, करंज व अप्पामार्ग को भी इसमें मिलाया गया है। करीब 16 तरह के बैक्टीरियल स्ट्रेन को अध्ययन में शामिल किया गया। इनमें से एक स्ट्रेन तो भोपाल एम्स की लैब से ही लिया गया है।
डॉ. समरन सिंह के मुताबिक, स्टैफिलोकोकस प्रजाति के बैक्टीरियाओं के खिलाफ फीफाट्रोल बेहद शक्तिशाली साबित हुई है। स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया त्वचा, श्वसन तथा पेट संबंधी संक्रमणो के लिए जिम्मेदार हैं। जिन लोगों का प्रतिरोधक तंत्र कमजोर होता है, उनमें इसका संक्रमण घातक भी हो सकता है। एक अन्य बैक्टीरिया पी. रुजिनोसा के पर भी यह असरदार रही है। इसके अलावा इकोलाई, निमोनिया, के एरोजेन आदि बैक्टीरिया के प्रति भी इसमें संवेदनशील प्रतिक्रिया देखी गई। एम्स के डॉक्टरों को बधाई।