शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि को टिहरी/उत्तरकाशी जिले में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में माता रानी के मंदिरों में सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा की पूजा कर हरियाली बांटी तथा 2 से 11 साल तक की कन्याओं को भोजन कराने के बाद आशीर्वाद लिया।
टिहरी जनपद में श्रद्धालुओं ने मंदिरों में पहुँचकर पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर सिद्धपीठ कुंजापुरी, सुरकण्डा, चंद्रबदनी समेत माता के सभी मंदिरों में बड़ी संख्या में दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचे। जबकि नगर स्थित सनातन धर्म शक्तिपीठ, त्रिदेव मंदिर, गीता भवन में सुबह ही श्रद्धालुओं ने पहुंचकर पूजा-अर्चना की। नई टिहरी के मोलधार स्थित गीता भवन में भी इस अवसर पर पूजा-पाठ व भंडारे का आयोजन किया गया।
उत्तरकाशी में अष्टमी पर अपने घरों में मां दुर्गा के नौ-स्वरुप की साक्षी नौ कन्याओं और एक बालक को विभिन्न प्रकार के पकवान परोसकर ब्रतियों ने उपवास तोड़ा। इसके साथ ही कुटेटी मंदिर, नागणी, चंदोमति, काली, चंद्रघंटा और शक्तिमाता आदि मंदिर दर्शनार्थ के साथ ही माता के भजनों से गूंजायमान रहे।
विजयी दशमी पर्व के अवसर पर टिहरी दशहरा महोत्सव समिति द्वारा आठ अक्टूबर को भव्य राम झांकी के साथ ही रावण पुतला दहन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। विजयीदशमी पर्व के अवसर पर बाजार में भव्य राम झांकी निकाली जाएगी और उसके बाद सांय सात बजे बौराड़ी स्टेडियम में रावण का पुतला दहन किया जाएगा। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नगरपालिका अध्यक्ष सीमा कृषाली होंगी।
उधर श्रीनगर गढ़वाल में अष्टमी पर माता के मंदिरों में पूजा अर्चना को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। श्रद्धालुओं ने कन्याओं का पूजन किया। श्रीनगर के प्राचीन कंसमर्दनी मंदिर, कलियासौड़ स्थित धारी देवी मंदिर, देवलगढ़ स्थित मां राजराजेश्वरी और गौरा देवी मंदिरों के साथ ही अपर भक्तियाना स्थित सीतला माता मंदिर में सुबह से ही पूजा के लिए श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। कर्णप्रयाग, सिमली और थराली नगर क्षेत्र के ऐतिहासिक उमा देवी मंदिर में अष्टमी पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही, इस दौरान देवीपाठ व भजन-कीर्तन के कार्यक्रम से मंदिर परिसर गुंजायमान रहा। वहीं क्षेत्र के नंदादेवी मंदिर नौटी, लंगासू व जिलासू चंडिका मंदिर, सोनला-कंडारा स्थित कालीमठ मंदिर, सिद्धपीठ राजराजेश्वरी चंडिका देवी मंदिरों में नवरात्र अष्टमी पर महायज्ञ व भंडारे हुए। देवाल में दुर्गा महोत्सव में लोगों ने देवी की स्तुति कर भजन कीर्तन में भाग लिया। नंदा सिद्धपीठ देवराड़ा में महाकालरात्रि पर आयोजित अनुष्ठान देवी की मध्य रात्रि को पूजा के साथ संपन्न हुई।