नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। क्या है कालरात्रि की पूजा का महत्व
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है, जिनका रूप अत्यंत भयानक है। जो दुष्टों के लिए काल का काम करता है, और उनके भक्तों के लिए शुभ फल प्रदान करता है।
देवी कालरात्रि की पूजा करने से भूत प्रेत, राक्षस, अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि सभी नष्ट हो जाते हैं।
अगर किसी की कुंडली में सभी ग्रह खराब हो या फिर अशुभ फल दे रहे हों तो नवरात्रि के सातवें दिन उस व्यक्ति को मां कालरात्रि की पूजा अवश्य ही करनी चाहिए क्योंकि सभी नौ ग्रह मां कालरात्रि के अधीन है। मां कालरात्रि के आशीर्वाद से उनके भक्तों की सभी परेशानियां समाप्त हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार कालरात्रि की पूजा से शनि ग्रह के दोष दूर होते हैं।
इनकी पूजा से मनुष्य को मृत्यु तुल्य अपवादों से मुक्ति मिलती है। मां कालरात्रि की साधना करने वालों को विभिन्न रोगों से भी मुक्ति मिलती है जिनमें अस्थि, वात और सांस से संबंधित अनेक रोग सम्मिलित हैं।
इनके भयानक रूप से भक्तों को भयभीत या आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है। कालरात्रि की पूजा से , भय, चिंता और निराशा भी दूर होते हैं।