प्रशासन ने चंद्रभागा नदी से अवैध झुग्गी झोपड़ियों का अतिक्रमण तो हटाया, मगर खुले आसमान में रहने को मजबूर इन लोगों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की। यहां तक कि मानवाधिकार आयोग के आदेशों को प्रशासन ने संज्ञान में ही नहीं लिया।
सुत्रों के अनुसार कुछ माह पूर्व भी प्रशासन की ओर से चंद्रभागा नदी में अवैध झुग्गी झोपड़ियों को हटाने की कार्रवाई की गई थी जिससे मजबूरन कई लोगों को खुले में ही दिन-रात गुजारना पड़ रहा था। इस दौरान यहां संदिग्ध परिस्थितियों में एक बच्ची की मौत हो गई थी। प्रशासन द्वारा करीब 200 अवैध निर्माणों को जेसीबी की सहायता से ध्वस्त किया गया। इस दौरान स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच कई बार नोंकझोंक भी हुई, लेकिन अतिक्रमणकारियों की एक न चल पाई।
सूत्रों के अनुसार एनजीटी ने एक व्यक्ति की शिकायत पर बीते 11 जून को चंद्रभागा नदी का निरीक्षण किया था। इसके बाद 261 अतिक्रमण कारियों को चिह्नित कर 24 जुलाई तक अपना पक्ष रखने को कहा था। इस क्रम में 261 में से केवल 176 अतिक्रमणकारी नगर निगम में प्रस्तुत हुए और नदी किनारे बसावट का कोई विधिक आदेश, पट्टा, अधिकार या अन्य दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए। चंद्रभागा नदी किनारे पसरे अतिक्रमण पर एक बार फिर नगर निगम की जेसीबी गरजी। लोगों के भारी विरोध के बीच प्रशासन, नगर निगम, सिंचाई और पुलिस विभाग ने संयुक्त कार्रवाई कर यहां फैले कच्चे और पक्के अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया।
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