11 दिसम्बर के दिन 1946 में संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय बाल कोष की स्थापना हुई थी। वर्षों से यूनिसेफ विश्व भर में बच्चों के हितों के लिए काम कर रही है।
नई टिहरी * गढ़ निनाद, 11 दिसम्बर 2019
दूसरे विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने एक अंतरराष्ट्रीय बाल राहत कोष बनाने का निर्णय लिया। कई वर्षों तक यूनिसेफ़ ने विश्व भर में युद्ध की त्रासदियों से प्रभावित देशों के बच्चों को राहत पहुंचाने का काम किया। 1970 आते आते यह बाल अधिकारों की वकालत करने वाली एक बुलंद आवाज़ बन गई।
1980 के दशक में यूनिसेफ़ ने मानव अधिकारों के यूएन कमीशन की बाल अधिकारों का मसौदा तैयार करने में काफी मदद की और 1989 में इस मसौदे के स्वीकार किए जाने के साथ ही बाल अधिकारों के क्षेत्र में यह एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ।
संयुक्त राष्ट्र के 184 सदस्य देशों में से केवल सोमालिया और अमेरिका ही ऐसे देश थे जिन्होंने अपने यहां इस समझौते को स्वीकार नहीं किया। सोमालिया में अंतरराष्ट्रीय मान्यता वाली सरकार नहीं है।
दूसरी ओर अमेरिका ने इसमें प्रस्तावित बदलावों को स्वीकार इसलिए नहीं किया क्योंकि उसका मानना था कि इससे उनकी राष्ट्रीय प्रभुता और बच्चों और अभिभावकों के संबंधों पर असर पड़ेगा।
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