गांव के चार दिन!
अपने ग्रामीण क्षेत्र के चार दिवसीय भ्रमण के दौरान कई लोगो से जनसंपर्क करने का अवसर मिला। मैंने जो ख़ामियाँ देखी वह इस प्रकार हैं-
1- इस दौरान ग्रामीण कस्वो में भवन निर्माण बेतरतीब,(बिना आवागमन के मार्गो, सीवरेज, कूडा निस्तारण की कोई ठोस व्यवस्था न होना) देखा गया है। राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो) मानचित्र स्वीकृत करने व अन्य व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित करने के लिये जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला विकास प्राधिकरण का गठन गत बर्षो में किया, जिसके सफल क्रियान्वयन के लिये संबंधित एसडीएम को प्राधिकृत किया गया है। लेकिन नये नगर निकायो व प्राधिकरण में समन्वय की कमी स्पष्ट नजर आर ही है। जो आने वाले भविष्य में विकट समस्या पैदा कर सकता है। राज्य सरकार संबंधित जिलाधिकारियो को इस दिशा स्पष्ट कार्यवाही करने के साथ ही नागरिक सुविधाएँ सही व व्यवस्थित ढंग से बहाल हों ,इस पर नजर होनी चाहिये।
2- समाज कल्याण के द्वारा बृद्धजनो को जो बृद्धावस्था पेंशन दी जा रही है, उसका लाभ उन्हें मिल पा रहा है, उनके अशक्त होने पर बच्चे पेंशन स्वयं उपयोग कर रहे हैं,ऐसी स्थिति में बृद्धजन बदहाली का जीवन बिता रहे हैं। भोजन माँगकर कर खा रहे हैं। शरीर पर फटे पुराने कपड़े इस शीत और ठंड में उनकी पीडा को बढ़ा रहे है। जिलाधिकारी व समाज कल्याण अधिकारियों को स्थलीय भौतिक निरीक्षण करें ताकि पात्र व्यक्ति अपने जीवन की सुविधा से महरूम न रहे। राज्य सरकार भी समीक्षा सुनिश्चित करें।
--एस एम बिजल्वाण,रि.अपर जिला सूचना अधिकारी